टॉप 10 बॉलीवुड की वो फिल्में जिन पर सबसे ज्यादा बवाल हुआ

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टॉप 10 बॉलीवुड फिल्में जो विवादों में रहीं

बॉलीवुड फिल्में केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे समाज, संस्कृति और राजनीति को भी प्रभावित करती हैं। समय-समय पर कई फिल्में अपने कथानक, दृश्यों, संवादों या किरदारों के कारण विवादों में आ चुकी हैं। इनमें से कुछ फिल्में अपने बोल्ड कंटेंट के कारण चर्चा में रही हैं, जबकि कुछ फिल्मों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, राजनीतिक मुद्दों को गलत तरीके से दिखाने या ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है।

जब कोई फिल्म किसी समुदाय, धर्म, संगठन या सरकार की विचारधारा से टकराती है, तो वह विरोध और बहस का कारण बन जाती है। कुछ मामलों में, इन फिल्मों पर बैन लगाने की मांग उठती है, तो कुछ को सेंसर बोर्ड द्वारा कट लगाकर रिलीज करने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, विवादों में फंसी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई करती हैं, क्योंकि विवाद अपने आप में एक मुफ्त पब्लिसिटी टूल बन जाता है, जिससे दर्शकों की रुचि और बढ़ जाती है।

बॉलीवुड में ‘पद्मावत’, ‘पीके’, ‘ब्लैक फ्राइडे’ और ‘बैंडिट क्वीन’ जैसी कई फिल्में विवादों में घिरी रही हैं। इन फिल्मों को रिलीज से पहले और बाद में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। कभी राजनीतिक कारणों से तो कभी नैतिकता और संस्कृति के नाम पर, फिल्मों को बैन करने या उनके दृश्यों में बदलाव की मांग की गई।

इस लेख में, हम उन फिल्मों पर चर्चा करेंगे जो बॉलीवुड के इतिहास में सबसे ज्यादा विवादित रही हैं और उनके पीछे के कारण क्या थे।

विवादित फिल्मों के कारण (Reasons for Controversies in Bollywood Films)

बॉलीवुड में फिल्मों के विवादों में घिरने के कई कारण होते हैं। इनमें से कुछ कारण सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक होते हैं, जबकि कुछ फिल्मों को उनके बोल्ड कंटेंट के कारण विरोध का सामना करना पड़ता है। आइए, जानते हैं कि बॉलीवुड की फिल्में किन कारणों से विवादों में आती हैं:

1. धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दे

धर्म और आस्था से जुड़े विषय बहुत संवेदनशील होते हैं। जब कोई फिल्म किसी धर्म, देवी-देवता, धार्मिक ग्रंथों या मान्यताओं पर सवाल उठाती है, तो उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, ‘पीके’ (2014) पर हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने का आरोप लगा था।

2. राजनीतिक हस्तक्षेप

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो राजनीतिक दलों, नेताओं या सरकारी नीतियों पर कटाक्ष करती हैं। ऐसी फिल्मों को सेंसर बोर्ड और राजनीतिक संगठनों का विरोध झेलना पड़ता है। ‘ब्लैक फ्राइडे’ (2007), जो 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी, को रिलीज से पहले कोर्ट केस का सामना करना पड़ा।

3. ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़

ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्मों में जब तथ्यों को बदलकर दिखाया जाता है, तो इतिहासकारों और संबंधित समुदायों द्वारा विरोध किया जाता है। ‘पद्मावत’ (2018) इसका बड़ा उदाहरण है, जिसे राजपूत समाज ने विरोध किया था।

4. बोल्ड और संवेदनशील विषय

कुछ फिल्में अपने बोल्ड दृश्यों, हिंसा या सामाजिक मुद्दों को बेबाकी से दिखाने के कारण विवादों में आती हैं। ‘बैंडिट क्वीन’ (1994) को इसके आपत्तिजनक दृश्यों के कारण बैन करने की मांग उठी थी।

5. सेंसर बोर्ड और प्रतिबंध

कई बार सेंसर बोर्ड ही किसी फिल्म को पास करने से इनकार कर देता है। सरकारें भी कभी-कभी फिल्मों पर बैन लगाती हैं, जैसे ‘इंडियाज डॉटर’ (2015), जो निर्भया कांड पर आधारित थी।

इन कारणों से बॉलीवुड की कई फिल्में विवादों में रहती हैं और समाज में बहस का विषय बन जाती हैं।

बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्में (Most Controversial Bollywood Movies)

बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी हैं, जिन्होंने अपनी कहानी, किरदारों, दृश्यों, संवादों या विषयवस्तु के कारण भारी विवादों का सामना किया। कुछ फिल्मों पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा, तो कुछ ने राजनीतिक विवादों को जन्म दिया। वहीं, कुछ फिल्मों को उनके बोल्ड कंटेंट, ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और सामाजिक मुद्दों के कारण विरोध झेलना पड़ा।

आइए, विस्तार से जानते हैं ऐसी ही कुछ बॉलीवुड फिल्मों के बारे में, जो रिलीज से पहले या बाद में जबरदस्त विवादों में रहीं।

1. पद्मावत (2018)

विवाद का कारण:

  • फिल्म के खिलाफ राजपूत करणी सेना और कई अन्य संगठनों ने विरोध किया।
  • आरोप था कि इसमें रानी पद्मावती को गलत तरीके से दिखाया गया है और इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है।
  • निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमला हुआ और सेट को जलाने तक की घटनाएं हुईं।
  • फिल्म का नाम “पद्मावती” से बदलकर “पद्मावत” किया गया।
  • कुछ राज्यों में इसे बैन करने की कोशिश हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिल्म रिलीज हो पाई।

2. PK (2014)

विवाद का कारण:

  • फिल्म में धार्मिक आस्था पर कटाक्ष किया गया था, जिससे हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया।
  • आमिर खान के किरदार ने कई धार्मिक रीति-रिवाजों और भगवान की मूर्तियों पर सवाल उठाए, जिससे यह विवादों में आई।
  • सिनेमाघरों के बाहर तोड़फोड़ और प्रदर्शन हुए।
  • फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की, लेकिन विवादों की वजह से इसे काफी आलोचना भी मिली।

3. इंडियाज डॉटर (2015)

विवाद का कारण:

  • यह डॉक्यूमेंट्री दिल्ली के निर्भया कांड पर आधारित थी, जिसे BBC ने बनाया था।
  • इसमें निर्भया के एक दोषी का इंटरव्यू था, जिसमें उसने महिला-विरोधी बयान दिए।
  • भारत सरकार ने इसे देशभर में बैन कर दिया।
  • हालांकि, यह इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज हुई और दुनिया भर में इस पर बहस हुई।

4. राम तेरी गंगा मैली (1985)

विवाद का कारण:

  • फिल्म में मंदाकिनी का बोल्ड और सेमी-न्यूड सीन था, जिससे यह विवादों में आई।
  • धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करने पर भी आपत्ति जताई गई।
  • राज कपूर की यह फिल्म हालांकि बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही, लेकिन इसे लेकर काफी आलोचना भी हुई।

5. मदर इंडिया (1957)

विवाद का कारण:

  • फिल्म की कहानी भारतीय समाज की सच्चाइयों को दर्शाती थी, जिसमें गरीबी, संघर्ष और साहस को दिखाया गया।
  • हालांकि, इसकी कहानी को लेकर कुछ राजनीतिक विवाद हुए और इसे कुछ संगठनों ने भारत की छवि खराब करने वाली फिल्म कहा।
  • इसके बावजूद, यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक बनी।

6. ब्लैक फ्राइडे (2007)

विवाद का कारण:

  • फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी।
  • कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई।
  • इसे कोर्ट केस के कारण तीन साल तक रिलीज नहीं किया गया।
  • आखिरकार, 2007 में यह रिलीज हुई और इसकी काफी सराहना भी हुई।

7. उर्फ प्रोफेसर (2001)

विवाद का कारण:

  • सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को अप्रूव करने से इनकार कर दिया था।
  • इसमें ऐसे कई दृश्य थे, जिन्हें भारतीय समाज के लिए अनुचित बताया गया।
  • अंततः इसे छोटे स्तर पर कुछ स्क्रीनिंग्स में दिखाया गया, लेकिन बड़े पैमाने पर रिलीज नहीं हो सकी।

8. ए दिल है मुश्किल (2016)

विवाद का कारण:

  • इस फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान थे, और उड़ी हमले के बाद भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी।
  • महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने इस फिल्म को बैन करने की मांग की और करण जौहर को इसे रिलीज करने के लिए माफी मांगनी पड़ी।
  • विरोध के बावजूद, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही।

9. बैंडिट क्वीन (1994)

विवाद का कारण:

  • यह फिल्म फूलन देवी की जिंदगी पर आधारित थी और इसमें कई आपत्तिजनक दृश्य थे।
  • इसमें नग्नता, हिंसा और बलात्कार जैसे दृश्यों को दिखाया गया था, जिस पर सेंसर बोर्ड और समाज के कई वर्गों ने आपत्ति जताई।
  • फूलन देवी ने खुद इस फिल्म पर आपत्ति जताई और इसे बैन करने की मांग की।
  • बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद फिल्म को रिलीज किया गया।

10. कुर्बान (2009)

विवाद का कारण:

  • इस फिल्म में करीना कपूर और सैफ अली खान के बोल्ड सीन थे, जिससे यह विवादों में आ गई।
  • साथ ही, इसमें आतंकवाद और धर्म से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को उठाया गया था, जिससे कई संगठनों ने विरोध किया।
  • मुंबई और कुछ अन्य शहरों में फिल्म के पोस्टर फाड़े गए और प्रदर्शन हुए।

विवादित फिल्मों का प्रभाव (Impact of Controversial Films)

1. बॉक्स ऑफिस पर असर

  • विवादों के कारण कुछ फिल्मों को नुकसान हुआ, लेकिन कई फिल्मों ने इस विवाद का फायदा उठाकर जबरदस्त कमाई की।
  • उदाहरण के लिए, ‘पीके’ और ‘पद्मावत’ ने भारी विरोध के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की।

2. पब्लिसिटी और मार्केटिंग में फायदा

  • कई बार विवाद फिल्मों के लिए मुफ्त पब्लिसिटी का काम करते हैं, जिससे लोगों में फिल्म देखने की जिज्ञासा बढ़ जाती है।

3. समाज में बहस और जागरूकता

  • कुछ फिल्मों ने समाज में जरूरी बहस शुरू की और सामाजिक मुद्दों को उजागर किया।
  • ‘इंडियाज डॉटर’ और ‘ब्लैक फ्राइडे’ जैसी फिल्में समाज के कड़वे सच को सामने लाने में सफल रहीं।

4. सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल

  • विवादित फिल्मों के साथ सेंसर बोर्ड और सरकारों का रवैया कई बार सवालों के घेरे में आता है।
  • कई बार यह बहस छिड़ती है कि क्या फिल्मों पर प्रतिबंध लगाना उचित है या नहीं।

बॉलीवुड में विवादों और फिल्मों का गहरा नाता रहा है। कई फिल्में अपने संवेदनशील विषयों, बोल्ड दृश्यों, धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों के कारण चर्चा में आती हैं। हालांकि, कई बार ये विवाद फिल्मों के लिए फायदेमंद भी साबित होते हैं, क्योंकि इससे उनकी पब्लिसिटी बढ़ जाती है।

हालांकि, यह भी सच है कि सिनेमा समाज का दर्पण होता है और यह जरूरी नहीं कि हर फिल्म सभी को पसंद आए। विवादों के बावजूद, दर्शकों को यह अधिकार है कि वे खुद तय करें कि कौन-सी फिल्में देखनी चाहिए और कौन-सी नहीं। सेंसरशिप और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी है, ताकि सिनेमा अपनी असली ताकत को बनाए रख सके।

विवादित फिल्मों पर सेंसर बोर्ड और अदालतों की भूमिका

भारत में फिल्मों को रिलीज़ करने से पहले सेंसर बोर्ड (CBFC – Central Board of Film Certification) द्वारा प्रमाणित किया जाता है। सेंसर बोर्ड का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी फिल्म समाज में अशांति न फैलाए और भारतीय संस्कृति व कानूनों के अनुरूप हो। हालांकि, कई बार सेंसर बोर्ड के फैसले विवादों में आ जाते हैं और फिल्म निर्माता अदालतों का रुख करते हैं।

1. सेंसर बोर्ड की भूमिका

  • सेंसर बोर्ड फिल्मों को U (सभी के लिए उपयुक्त), A (वयस्कों के लिए), U/A (कुछ दृश्यों में माता-पिता की निगरानी आवश्यक), और S (विशेष वर्ग के लिए) सर्टिफिकेट देता है।
  • यदि किसी फिल्म में आपत्तिजनक सामग्री पाई जाती है, तो बोर्ड उसमें बदलाव करने या उसे प्रतिबंधित करने की सिफारिश कर सकता है।
  • कई बार बोर्ड के निर्णयों को लेकर फिल्म निर्माताओं और दर्शकों में असहमति होती है, जिससे विवाद पैदा होते हैं।

2. अदालतों की भूमिका

  • जब सेंसर बोर्ड किसी फिल्म पर रोक लगाता है या उसमें बदलाव की सिफारिश करता है, तो निर्माता हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
  • ‘पद्मावत’ और ‘उड़ता पंजाब’ जैसी फिल्मों को अदालतों के हस्तक्षेप के बाद रिलीज़ की अनुमति मिली थी।
  • अदालतें अक्सर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज में शांति बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हैं।

सेंसर बोर्ड और अदालतें फिल्मों के विवादों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, यह जरूरी है कि सिनेमा को स्वतंत्रता मिले और समाज में सकारात्मक चर्चा के लिए मंच तैयार किया जाए।

विवादित फिल्मों पर जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

बॉलीवुड की कई फिल्में अपनी कहानी, दृश्यों, संवादों, या विषयवस्तु के कारण जनता और राजनीतिक दलों के निशाने पर आ जाती हैं। कुछ फिल्मों को लेकर जनता का गुस्सा सड़कों पर उतर आता है, तो कुछ मामलों में राजनीतिक दल इसे अपने एजेंडे के तहत भुनाने की कोशिश करते हैं।

1. जनता की प्रतिक्रिया

  • जब कोई फिल्म धार्मिक, सामाजिक, या ऐतिहासिक भावनाओं को आहत करती है, तो जनता इसका कड़ा विरोध करती है।
  • सिनेमाघरों के बाहर विरोध प्रदर्शन, फिल्म के पोस्टर जलाने और थिएटर में तोड़फोड़ जैसी घटनाएं आम हो जाती हैं।
  • सोशल मीडिया के दौर में अब डिजिटल माध्यम से भी लोग अपना गुस्सा जाहिर करते हैं और फिल्मों के बॉयकॉट की मांग करने लगते हैं।
  • ‘पीके’, ‘पद्मावत’ और ‘कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों को लेकर जनता के बीच भारी विरोध और समर्थन दोनों देखने को मिला।

2. राजनीतिक दलों की भूमिका

  • कई बार राजनीतिक दल किसी फिल्म के समर्थन या विरोध में आ जाते हैं, जिससे विवाद और बढ़ जाता है।
  • कुछ पार्टियां फिल्मों को चुनावी मुद्दा बना लेती हैं, ताकि अपने वोट बैंक को मजबूत किया जा सके।
  • ‘पद्मावत’ के दौरान करणी सेना जैसे संगठनों को राजनीतिक समर्थन भी मिला, जिससे विवाद और उग्र हो गया।
  • कई बार सरकारें भी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने का दबाव बनाती हैं, जैसा कि ‘इंडियाज डॉटर’ के साथ हुआ था।

फिल्में समाज का दर्पण होती हैं, लेकिन जब वे विवादों में आती हैं, तो जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं मिलीजुली होती हैं। सिनेमा की स्वतंत्रता और समाज की भावनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।

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