दुर्गा देवी वोहरा: एक ऐसी वीरांगना जिसे इतिहास ने भुला दिया
दुर्गा देवी वोहरा, जिन्हें दुर्गा भाभी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख और प्रेरणादायक हस्ती थीं। उनका जीवन साहस, संघर्ष, और समर्पण का प्रतीक है। इस लेख में, हम उनके जीवन, उनके योगदान और उनके संघर्षों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
दुर्गा देवी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनका पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था, लेकिन उन्हें प्यार से दुर्गा भाभी कहा जाता था। उनके पिता एक सरकारी अधिकारी थे और उन्होंने दुर्गा को उच्च शिक्षा दिलाई। दुर्गा देवी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति अपनी निष्ठा को मजबूत किया।
स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश
दुर्गा देवी का स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश उनके पति भगवती चरण वोहरा के माध्यम से हुआ। भगवती चरण वोहरा एक प्रमुख क्रांतिकारी थे और भगत सिंह के करीबी सहयोगी थे। दुर्गा देवी ने अपने पति के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया और अपने साहस और दृढ़ता से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
असहयोग आंदोलन और काकोरी कांड
दुर्गा देवी ने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने भारतीय जनता को विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही, उन्होंने काकोरी कांड में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काकोरी कांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटकर स्वतंत्रता संग्राम के लिए धन जुटाया।
भगत सिंह के साथ सहयोग
दुर्गा देवी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी भगत सिंह के साथ जुड़ा हुआ है। जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 1929 में दिल्ली असेंबली में बम फेंका, तो दुर्गा देवी ने उनकी पहचान छुपाने में मदद की। उन्होंने भगत सिंह को सुरक्षित रूप से दिल्ली से बाहर निकालने में मदद की और इसके लिए उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की।
“दुर्गा भाभी” के नाम से प्रसिद्ध

दुर्गा देवी को उनके साहसिक कार्यों के कारण “दुर्गा भाभी” के नाम से जाना जाने लगा। उन्होंने कई बार ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और अपने जीवन को जोखिम में डालकर क्रांतिकारियों की मदद की। उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
जीवन का संघर्ष
दुर्गा देवी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उन्होंने अपने पति भगवती चरण वोहरा की मृत्यु के बाद भी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका जारी रखी। उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और अपने जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया।
स्वतंत्रता के बाद का जीवन
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, दुर्गा देवी ने सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम किया और समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास किया। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दिनों तक समाज सेवा में लगे रहे और 1999 में उनका निधन हो गया।
दुर्गा देवी की विरासत
दुर्गा देवी वोहरा की विरासत आज भी भारतीय समाज में जीवित है। उनके साहस, समर्पण और संघर्ष ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद, अपने लक्ष्यों के प्रति निष्ठा और दृढ़ता बनाए रखना चाहिए।
निष्कर्ष
दुर्गा देवी वोहरा एक ऐसी महान महिला थीं, जिन्होंने अपने साहस और समर्पण से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन संघर्षों और साहस की प्रेरणादायक कहानी है। उनकी वीरता और बलिदान को हम कभी नहीं भूल सकते। दुर्गा भाभी का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा और उनका जीवन हमें प्रेरणा देता रहेगा।